Monday, September 23, 2019

Jai Shri Mere Ram




जय श्री मेरे राम

मंदिर की अब लेके मांग
जोर से बोलो जय श्री राम

अब हो के रहेगा ये संग्राम
हर ईंट पे लिख दो जय श्री राम

रोके कोई तो लो गर्दन थाम
राम राज्य का करो ऐलान

हाथ में भाला हो या बाण
दुश्मन का बचे निशान

दूजे धर्म के लोग हराम
बस कर दो उनका काम तमाम

हर योगी अब परशुराम
ले लो कुर्सी और बनो प्रधान

पर मेरे राम का क्यों लेते हो नाम
ये पाप धुलेंगे चारो धाम

स्वयं कहेंगे मेरे राम
ना "तुम" मुझको करो प्रणाम

करते हो तुम ऐसे काम
लगते हो रावण संतान

कितने भिन्न है अपने राम
लगते नहीं है एक समान

कृपा सिंधु थे मेरे राम
और आपके मांगे किसकी जान ?

कबीर तुलसी उन्हें करे प्रणाम
राम कथा का देते ज्ञान

पल में छोड़ा राजा का मान
सौतेली माता का सम्मान

क्यों छोड़ा अपना जन्मस्थान ?
क्यों ना किया युद्ध ऐलान ?

वचन पूर्ति में दिया बलिदान
वनवासित हो गए मेरे राम

केवट शबरी एक सामान
भेद वानर ना इंसान

दुश्मन का भी हो सम्मान
लक्ष्मण को वो देते ज्ञान


हर मर्यादा का सम्मान
इसीलिए पुरषोत्तम मेरे राम

आपको कब समझेंगे मेरे राम
ये ना इतना आसान काम

पहल द्वेष को लगे लगाम
क्रोध को दो थोड़ा विश्राम

व्यर्थ है मंदिर की ये मांग
जब तक ना समझे मेरे राम

मंदिर बांधो या गुरुधाम
गिरा के मस्जिद बनो बलवान

पर ना करना दुष्टों का काम
लगा के नारे जय श्री राम

जब दिल में बस जाए मेरे राम
तब कहलाओ तुम हनुमान

परम भक्ति का वो है मान
तब तुम कहना जय श्री राम

जब तुम पाओगे मेरे राम
लब  पर होगी एक मुस्कान


शांत चित्त से हम करे प्रणाम
नारा नहीं पर भजन समान

रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम.

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